कानकुन ।। कूड़ा-कबाड़ बीनने वाली दो भारतीय महिलाएं कूड़े करकट को खत्म करने वाले इन्सिनिरेटरों के खिलाफ अपना विरोध जताने कानकुन तक जा पहुंची हैं। उनका कहना है कि इन इन्सिनिरेटरों की वजह से उनके जीवन यापन का जरिया ही खत्म हो रहा है। इस मामले में इन महिलाओं ने वैश्विक जलवायु कोष की भूमिका की मांग की है। मैक्सिको में चल रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन अब अपने निर्णायक आखिरी हफ्ते में है। सुप्रिया और वत्सला गायकवाड़ नाम की ये महिलाएं पहली बार विमान में सवार हुईं। इन महिलाओं ने जोर देकर कहा कि नगर निगम कूड़े-करकट को सीधे इन्सिनिरेटर में डाल देता है। ऐसे में वे कूड़ा नहीं बीन पाती हैं। ये इन्सिनिरेटर निजी कंपनियों के हैं। मुंबई की 54 साल की गायकवाड़ ने कहा कि इस वजह से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। अगर वे कूडे़ को जला देंगे, तो हम कैसे कमाएंगे। हम रोज अपना पेट कैसे भरेंगे। गायकवाड़ ने कहा कि हमारा कामकाज पर्यावरण के अनुकूल है। लेकिन कूड़े को जलाकर वे प्रदूषण फैला रहे हैं।
दोनों महिलाओं ने इसके साथ ही कहा कि अपने घर को पहली बार छोड़कर कानकुन आना उनके लिए काफी रोमांचक रहा।
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