अञ्जुको सम्बन्ध बिच्छेद !

अञ्जुले मनोजसँग सम्बन्धबिच्छेदका लागि एक कानुन ब्यबसायीसँग परामर्श गरिरहेकी छन् ।

टीचर के टॉपलेस फोटो ने मचाया तूफान

ब्रिटेन के नामी हैरो स्कूल की एक आर्ट टीचर के टॉपलेस फोटो ने तूफान मचा दिया है। आर्ट टीचर जोएन सैली के ये उत्तेजक फोटो स्कूल के स्टूडेंट्स के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।

सेक्स डॉल ने बढ़ा दी सायरस की परेशानी!

किसी की लोकप्रियता और खूबसूरती का इससे भद्दा इस्तेमाल और क्या हो सकता है कि उसके नाम और पहचान पर सेक्स डॉल की बिक्री शुरु कर दी जाए।सिंगर माइले साइरस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।

अब नही देख पाएंगे पोर्न साइट्स

चीन में 62 ऐसी वेबसाइटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है

लांच हुआ दुनिया की सबसे बड़ी साइज का ब्रा

ब्रिटेन की एक कंपनी ने दुनिया की सबसे बड़ी साइज का ब्रा लांच किया है।

Thursday, February 15, 2018

रंग बदलती है ये बिल्ली, 55 करोड़ लग चुकी है कीम

बिल्ली अपना रंग बदल लेती है, इसके शरीर पर कभी-कभी हिन्दू, सिख और मुस्लिम धर्म के धार्मिक चिह्नï भी दिखाई देने लगते हैं।...

ये तो हम सभी जानते हैं कि गिरगिट की ये खासियत होती है कि वह अपना रंग बदल सकती है। वह जिस स्थान पर बैठी होती है अपना रंग वैसा ही कर लेती है। लेकिन क्या आपने किसी ऐसी बिल्ली के बारे में भी सुना है जो गिरगिट की तरह रंग बदल लेती है।

गुजरात के अंकलेश्वर की शिवदर्शन कालोनी में स्थित है किशोर गायकवाड का घर। किशोर बताते हैं कि वे 2013 में मुम्बई गए थे और एक मंदिर में दर्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कुछ बच्चे एक बिल्ली को पत्थर से मार रहे थे। किशोर से देखा न गया और वह बिल्ली को उन बच्चों से बचाकर अपने घर ले आये। घर लाने के बाद उन्हें पता चला कि ये बिल्ली तो अन्य बिल्लियों से कुछ खास है दरअसल ये बिल्ली अपना रंग बदल लेती है, इसके शरीर पर कभी-कभी हिन्दू, सिख और मुस्लिम धर्म के धार्मिक चिह्नï भी दिखाई देने लगते हैं।

इस बिल्ली की खासियत जानने के बाद कई लोगों ने इस बिल्ली को खरीदने की पेशकश भी की लेकिन किशोर ने इस बिल्ली को बेचने से मना कर दिया। आपकी जानकारी के लिये बता दें कि लोगों ने इस बिल्ली की कीमत 55 करोड़ तक लगा रखी है।

आसमान से आएगी बेतार बिजली


जापान ने बिजली के पोलों और तारों से मुक्ति पाने का तरीका खोजा. वैज्ञानिकों ने एक जगह से दूसरी जगह बिना तार के बिजली भेजने में ऐतिहासिक कामयाबी पाई.
जापानी वैज्ञानिकों ने अतिसूक्ष्म तंरगों का इस्तेमाल करते हुए 10 किलोवॉट बिजली को 500 मीटर दूर भेजा. प्रयोग की सफलता का दावा करते हुए मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज ने कहा, "अपने प्रयोग के जरिए हमने दिखा दिया है कि भविष्य में व्यावसायिक रूप से बेतार बिजली भेजना मुमकिन है."

मित्सुबिशी के बयान जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) की ऐसी ही खोज के बाद आया. इससे एक दिन पहले जाक्सा के वैज्ञानिकों ने भी 100 फीसदी अचूक तरीके से 1.8 किलोवॉट बिजली 55  मीटर दूर भेजा.
आईएसएस की तरह होंगे सौर उत्पादन स्टेशन

तकनीक को बेहतर कर भविष्य में अंतरिक्ष से धरती पर बिजली भेजी जा सकेगी. जाक्सा के प्रवक्ता ने प्रयोग संबंधी जानकारी देते हुए कहा, "यह पहला मौका है जब कोई दो किलोवॉट जितनी बड़ी मात्रा में बिजली को माइक्रोवेव्स के जरिए एक छोटे टारगेट पर भेजने में सफल हुआ है. इसके लिए बेहद अत्याधुनिक कंट्रोल डिवाइस का इस्तेमाल किया गया."

जाक्सा लंबे समय से अंतरिक्ष के लिए सोलर पावर सिस्टम बनाने की कोशिश कर रही है. धरती के मुकाबले अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा पैदा करने के फायदे ज्यादा हैं. वहां मौसम की मार नहीं पड़ेगी और दिन व रात का चक्कर भी नहीं होगा.
लेजर तकनीक के जरिए भी ऐसा करने की कोशिश हो रही है

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और कई अन्य इंसानी उपग्रह लंबे समय से आकाश में सौर ऊर्जा के मदद से ही बिजली जुटाते हैं. ऐसी बिजली को धरती पर लाना अब तक वैज्ञानिकों को एक स्वप्निल कल्पना की तरह लगता रहा. लेकिन जापानी वैज्ञानिकों की खोज बता रही है कि एक दिन इंसान अंतरिक्ष से धरती पर बिजली ला सकेगा. जाक्सा के प्रवक्ता कहते हैं, "इस तकनीक को व्यवहार में लाने में दशकों लग सकते हैं, शायद 2040 या उसके बाद."

वैज्ञानिक इस राह की चुनौतियों से भी वाकिफ हैं. धरती से 36,000 किलोमीटर की दूरी पर सोलर पैनलों का ढांचा स्थापित करना और वहां से पृथ्वी तक बिजली लाना आसान नहीं. जाक्सा के मुताबिक अंतरिक्ष से बिजली लाने के लिए विशाल ढांचों को आकाश में भेजना होगा. उन्हें बनाने और उनके रखरखाव के तरीके भी खोजने होंगे.

अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा बनाने का विचार 1960 के दशक में अमेरिकी और जापानी वैज्ञानिकों को आया. 2009 में जापान ने इस प्रोजेक्ट को वित्तीय मदद देकर शुरू किया. द्वीपों से बना देश जापान बिजली के लिए परमाणु ऊर्जा, कोयले और जैविक ईंधन पर निर्भर है. 2011 के फुकुशिमा हादसे के बाद से ही देश में परमाणु ऊर्जा को लेकर बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में टोक्यो ऊर्जा के लिए एक बिल्कुल नया रास्ता खोजना चाह रहा है.

ओएसजे/आरआर (एएफपी)