काठमांडू. अपने ताकतवर पड़ोसी, चीन के भारी दबाव के कारण नेपाल ने ओस्लो में शुक्रवार को आयोजित होने वाले नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह में हिस्सा न लेने का निर्णय किया है। इस तरह का निर्णय लेने वाला नेपाल 20वां देश बन गया है।ज्ञात हो कि चीन जेल में कैद असंतुष्ट मानवाधिकार कार्यकर्ता लियु जियाआबो को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की लगातार विरोध कर रहा है। समाचार पत्र 'रिपब्लिका' में बुधवार को प्रकाशित खबर के अनुसार, विपक्षी माओवादी पार्टी की छापामार सेना को भंग कर पाने में विफल रहने को लेकर घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय दबावों का सामना कर रही नेपाल की कार्यवाहक सरकार ने नार्वे व अमेरिका के अपने राजदूत, सुरेश चालिसे को निर्देश दिया है कि वह उस समारोह में हिस्सा न लें, जिसे चीन अपने गाल पर तमाचा मानता है। अखबार ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह निर्देश तब जारी हुआ है, जब काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने पिछले महीने नेपाल से कहा था कि वह इस समारोह में हिस्सा न ले। लेकिन भारत ने कहा है कि वह ओस्लो में आयोजित नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह में हिस्सा लेगा।बहरहाल, इस मुद्दे पर नेपाल के विदेश मंत्रालय या प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है।
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