Wednesday, December 8, 2010

अगर आप चाहते हैं कि हर इच्छा पूरी हो तो...


यदि हम यह चाहते हैं कि हमारे मनोवांछित की पूर्ति हो तो सबसे पहले दूसरों की मनोकामनाओं का ध्यान रखना होगा। सच तो यह है कि खुद अमीर बनना हो तो दूसरों को भी धनवान बनने का मौका देना होगा। सफल होने का एक तरीका यह भी है कि दूसरों को आप यह आभास करा दें कि आपकी मदद करना उनके भी हित में है।
सीधी सी बात, दूसरों को मनचाहा दिलाएंगे तो आपको अपनी मनचाही सफलता आवश्य मिलेगी। भारतीय संस्कृति में जितने भी धर्म हैं सभी के महापुरुषों ने चाहे अवतार के रूप में, चाहे गुरु के रूप में जब भी अपने भक्तों और शिष्यों से बात की है ध्यान से देखें तो इनके बीच एक अद्भुत शान्त वार्तालाप हुआ था। सामान्य रूप से ऐसी कथाओं को समाज ने अधिकांशत: अशान्ति से सुना है। जबकि जीवन के सत्य को यदि पकडऩा हो तो शब्दों का भी शून्य बनाना पड़ेगा। जब मन पूरी तरह शान्त होगा तो सत्य आसानी से घटेगा। मन जितना बाहर होगा उतना ही असत्य देखेगा और जितना भीतर होगा उतना ही सत्य दर्शन अधिक होगा। सभी धर्मों के अवतारों और शीर्ष पुरुषों ने सेवा पर बहुत जोर दिया है। सफलता अर्जित करने की आकांक्षा वाले इस युग में पूर्ण समर्पण, परोपकार और परिश्रम, ये सेवा के ही अंग हैं। इन्हें जब प्रेम का आधार मिल जाए तब सच्ची सेवा का जन्म होता है।कहा जाता है जो भक्त होगा उसका हर कार्य स्वत: ही सेवा हो जाएगा। इसीलिए हमारे भौतिक जीवन में हम जो भी कार्य करें उसमें भीतर जीवन का भक्तिभाव अपना प्रभाव रखना चाहिए।

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