नई दिल्ली. देश-विदेश के प्रमुख वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की है कि आगामी कुछ वर्ष में सूर्य की प्रचंड लपटों से ‘सौर सुनामी’ के कारण ऐसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे भारत समेत विभिन्न देशों के उपग्रह ध्वस्त हो सकते है और संचार प्रणाली ठप हो सकती है। मौसम संबंधी जानकारी देने वाले उपग्रहों पर नजर रखने वाले वैज्ञानिक संगठन तथा प्रमुख वैज्ञानिकों ने कहा है कि आगामी कुछ समय में सूर्य की प्रचंड लपटों से सैंकडों हाइड्रोजन बम के बराबर ऊर्जा निकलेगी जिससे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा। इसके असर से अंतरिक्ष में तैनात उपग्रह ध्वस्त हो सकते है और उनसे प्रेषित होने वाली सूचना प्रणाली भी काम करना बंद कर देगी। खतरनाक सौर आंधी इस वर्ष अप्रैल में अमेरिका के ‘गैलेक्सी 15’ संचार उपग्रह को चौपट कर चुकी है। केन्द्र सरकार ने इस रिपोर्ट को पूरी गंभीरता से लिया है। हालांकि सूर्य में होने वाली इन असामान्य हलचलों को पहले से पता लगाया जा सकता है लेकिन इसका अंतरिक्ष तथा पृथ्वी के वातावरण और उपग्रहों एवं संचार प्रणालियों पर क्या असर पडेगा इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। इस आसन्न खतरे से देश के उपग्रहों की सुरक्षा के सवाल पर सूचना में बताया गया है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) उपग्रहों के डिजाइन और उनके निर्माण में पर्याप्त सुरक्षा उपायों की व्यवस्था करता है ताकि वे असामान्य रूप से कम या ज्यादा तापमान और भू चुंबकीय आंधियों तथा विद्युत चुंबकीय प्रभावों से बेअसर रहकर सुरक्षित रह सकें। उपग्रह की संचार प्रणाली में अचानक आई गड़बड़ियों को भी मिशन मैनेजमेंट से दूर किया जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ की रिपोर्ट में सौर सुनामी के पृथ्वी पर असर के बारे में भयावह तस्वीर पेश की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सूर्य का यह तूफान पृथ्वी की संचार प्रणाली में तबाही मचा सकता है। सौर आंधी से उच्च क्षमता वाली रेडियोधर्मिता पैदा होगी जिसके असर से ट्रेनें और विमान सेवा ठप हो सकती है, जीपीएस प्रणाली रेडियों और मोबाइल नेटवर्क गायब हो सकता है, बैंकिंग तथा वित्तीय बाजार में अफरा-तफरी मच सकती है। पूरी दुनिया की संचार प्रणाली पर इस खतरनाक सौर सुनामी का असर कुछ घंटों से लेकर कई माह तक चल सकता है। वैज्ञानिक पिछले 11 वर्षो से सूर्य की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। पिछले कुछ वर्ष से आग का यह गोला शांत है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तूफान के पहले का सन्नाटा है। यदि इसकी विनाश लीला पृथ्वी तक पहुंच गई तो धरती के समस्त तेल और कोयला भंडार से जितनी ताप ऊर्जा निकलेगी उसका सौ गुना ज्यादा ऊर्जा इससे पैदा होगी। सूर्य की ज्वाला से निकलने वाले कण 400 से 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमते हुए एक या दो दिन में पृथ्वी के वातावरण में पहुंच जाएंगे जिससे धरती का चुंबकीय क्षेत्र विचलित हो जाएगा।
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