Sunday, November 14, 2010

आंसू बहाते बच्चे की पेंटिग, आज तक बना है राज


आंसू बहाते हुए बच्चे की इस पेंटिंग के किस्से 1985 के करीब ब्रिटेन में काफी चर्चा में रहे। इस दौरान वहां कई घरों में आग लगने की घटनाएं घटी थीं। आश्चर्य की बात ये थी कि घरों में सबकुछ जल जाता था सिर्फ आंसू बहाते बच्चे की पेंटिंग बच जाती थी। मतलब ये कि जहां ये पेंटिंग होती वहां आग लग जाती थी। यॉर्कशायर के एक फायरमैन ने सबसे पहले ‘द सन’ अखबार में ये बात कही थी। इसके बाद अखबार के दफ्तर में कई लोगों के इस तरह के फोन आए। बाद में अखबार वालों ने सभी लोगों से ये तस्वीर उनके दफ्तर में लाने को कहा और सभी को आग लगा दी गई। इस तरह उन लोगों को इसकी बद्दुआ से निजात मिली। कई लोगों ने अपने घर में आग लगने का जिम्मेदार इस पेंटिंग को ठहराया। कई लोगों के घर वाले आग में मारे गए। फिर भी इस पेंटिंग में ऐसा क्या था, ये पेंटिंग किसने बनाई थी और ये बच्चे कौन था, ऐसे कई सवाल आज भी राज हैं। रॉथेरहैम के फायर स्टेशन अधिकारी एलन विल्किनसन इस राय से सहमत नहीं थे। फिर भी उनकी पत्नी का कहना था कि बच्चे के आंसू ही पेंटिंग का जलने से बचाते थे। 1995 में डेवॉन के रिटायर्ड स्कूल मास्टर जॉर्ज मैलोरी ने पता लगाया कि ये पेंटिंग एक स्पेनिश कलाकार फ्रेंचॉट सेविले ने बनाई थी। उन्होंने डॉन बोनिलो नाम के इस बच्चे की पेंटिंग बनाई थी। वह 1969 में उन्हें मेडरिड में भटकता हुआ मिला था। बच्चे के माता पिता आग में जल गए थे और वह बच गया था। जिस कैथलिक पादरी ने बच्चे को पहचाना था, उसने सेविले को उसे गोद लेने से मना किया था। फिर भी सेविले नहीं माने और एक दिन उनका स्टूडियो भी जल गया था। 1960-70 के दशक में बेहद पॉपुलर रही ये पेंटिंग 1985 के बाद किसी घर में नजर नहीं आई।
ब्रिटेन में आंसू बहाते हुए एक बच्चे की पेंटिंग काफी पॉपुलर हुआ करती थी। बाद में पता चला कि जिस घर में ये होती थी, वहां आग लग जाती। मगर, सबकुछ जलकर खाक हो जाने के बाद सिर्फ ये पेंटिंग बच जाती थी। इसके पीछे क्या कारण था ये आज तक कोई नहीं समझ सका है।

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