Sunday, November 14, 2010

कमरों में झांकते ही..................


फ्रांस के केल्वाडोस का ये नॉर्मन कैसल है। 12 अक्टूबर 1875 से 30 जनवरी 1876 के बीच यहां कई विचित्र घटनाएं हुई थीं। 1893 में एमजे मॉरिस ने एनेल्स डेस साइंसेस फि जिक्स में इनके बारे में लिखा था। ऐसी विचित्र घटनाएं वहां न पहले घटी थीं और न इसके बाद। 12 अक्टूबर 1875 की रात यहां कमरों में रखा समान हवा में उड़ने लगा था। वहां विचित्र आवाजें आ रही थीं। इतना ही नहीं महल के अंदर से बिजली चमकने की आवाजें भी आ रही थीं। वहां रहने वाले और उनके नौकरों ने पूरा महल छान मारा लेकिन पता नहीं चला कि ये आवाजें कहां से आ रही हैं। दीवारें और दरवाजे ठोंकने की ये आवाजें वहां करीब तीन महीने तक रोज रात को सुनाई देती थीं। महल में रहने वाले परिवार ने चर्च के पुजारी को भी बुलवाया था। वे भी वहां रातों में रुके, उन्होंने भी ये आवाजें सुनीं। पुजारी के अनुसार उन्होंने सुबह होने से पहले किसी दानव के कदमों की आवाज सीढ़ियों पर सुनी थी। उन्हें लगा कि ये मामला भूत-प्रेत का है और उनके बस का नहीं है। इसके बाद वे भी यहां से चलते बने। इसके बाद एक रात बारिश हो रही थी, ऐसे में महल के बाहर से महिला के चीखने की आवाजें आने लगीं। बाद में ये आवाज महल के अंदर से आने लगी। आखिरकार जनवरी 1876 में फिर से पूजा-पाठ करवाया गया। इस दौरान भी चीखने हंसने की आवाजें आती रहीं। अंत में खांसने की आवाज आई और इसके बाद वहां शांती छा गई। इन तीन महीनों में कई लोगों ने वहां जाकर इस रहस्य को जानना चाहा लेकिन कोई पता नहीं लगा सका कि वहां क्या होता था।
राज है गहरा- फ्रांस के केल्वाडोस कैसल (महल) में अक्टूबर 1875 से जनवरी 1876 के बीच रोज रात को विचित्र घटनाएं घटती थीं। ऐसा वहां क्यों होता था, इसके पीछे क्या राज था ये कोई पता नहीं लगा सका है।

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