चेहरे जिन पर रहेंगी निगाहें 2011 में : अमेरिका में हार्वर्ड के 19 वर्षीय छात्र मार्क ज़करबर्ग ने अपने हॉस्टल के रूम से एक वेब सर्विस शुरू की। यह फरवरी 2004 की बात है। नाम दिया फेसबुक डॉट कॉम। इस शुरुआत में उसके तीन साथी भी शामिल थे।एक छोटे से कमरे से शुरू हुई इस सोशल नेटवर्किग साइट पर आज 550 मिलियन (55 करोड़) लोग जुड़े हुए हैं। पिछले छह माह में 56 फीसदी की दर से बढ़कर इस कंपनी की कीमत 41 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। 1984 में जन्मे जकरबर्ग की सफलता के आंकड़े और भी रोचक हैं। दुनिया में हर 12 व्यक्तियों में से एक फेसबुक का सदस्य है। दुनिया में १.50 लाख लोग रोजाना इससे जुड़ रहे हैं। ये माइस्पेस से तीन गुना ज्यादा है। इंग्लिश से शुरू हुई ये वेबसाइट आज 75 भाषाओं में संचालित है। भारत में हिंदी के अलावा यह बंगाली, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और मलयालम में उपलब्ध है। अमेरिका के 50 फीसदी लोग फेसबुक पर हैं। भारत भी इसमें पीछे नहीं है। यहां पर भी एक करोड़ से ज्यादा फे सबुक यूजर्स हैं। दुनिया के सबसे कम उम्र के अरबपति बनने वाले जकरबर्ग दरियादिल भी बड़े हैं। वह अपनी आधी संपत्ति दान में देने की घोषणा चुके हैं।क्यों रहेंगी निगाहें-क्या फेसबुक पर यूजर्स का आंकड़ा एक अरब के पार जाता है?अपनी 6.9 बिलियन में से आधी संपत्ति मानव सेवा के किन कामों में लगाते हैं।
दावे में कितना दम है?-चीन और पाकिस्तान में फेसबुक को किस तरह से मंजूरी दिला पाते हैं,सैन फ्रांसिस्को के जुड़वा भाइयों का आरोप है कि फेसबुक का आइडिया उनका था।मार्क पर द सोशल नेटवर्किग साइट के नाम से हॉलीवुड में फिल्म बन चुकी है। फेसबुक ४१.२ अरब डॉलर की कंपनी बन चुकी है, लेकिन इसका आईपीओ नहीं आया है। फेसबुक एक फन साइट के तौर पर शुरू हुई। इसमें लड़कों या लड़कियों की तस्वीरों के बारे में अनुमान लगाया जाता था। इसके बाद उसकी रैंकिंग तय होती थी।सोशल यूटिलिटी साइट कहिए-फेसबुक को सोशल नेटवर्किग साइट की तुलना में सोशल यूटिलिटी साइट कहना ज्यादा बेहतर होगा। यहां आप अपनी एक समस्या रखिये, आपको सैकड़ों समाधान मिलेंगे।
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