Sunday, December 26, 2010

अकेला इंसान नौ वाद्यों पर छेडे़ तान!


वादक एक और वाद्ययंत्र नौ। मतलब साफ है किसी भी गीत के धुन पर एक साथ नौ वाद्य यंत्रों का साज सुनने को मिले तो भला कौन नहीं संगीत की सरिता में गोता लगाना चाहेगा। जिले में एक ऐसा संगीतज्ञ है, जो यह असंभव कार्य कर रहा है। महफिल में अकेले रंग जमाने में उस्ताद सियाराम ने नौ वाद्ययंत्रों को कुछ इस प्रकार जोड़कर सजाया है कि बजने पर श्रोता भाव-विभोर हो जाए। इसीलिए तो कहा जाता है कि संगीत में साधना की जरूरत होती है।मूलत: भटपुरवा बबुरी के रहने वाले सियाराम अक्सर दुलहीपुर स्थित एक विद्यालय में भी मिल जाते हैं। इन्होंने विगत 14 वर्ष की साधना के बाद यह मुकाम हासिल किया। बताते हैं कि मन में विचार आया कि क्यों न एक प्रयोग किया जाय और कई वाद्य यंत्रों को अकेले बजाया जाय, इसीलिए उन्होंने नक्कारा, तबला, झांझा, डमडम, थाली, बोतल, टईया, ड्रम एवं नाल को मिलाकर एक संयुक्त वाद्य यंत्र बनाया और इसे बजाने का रियाज करने लगे। कुछ ही दिनों में मेहनत इस कदर रंग लाई कि सियाराम उस वाद्य यंत्र पर कोई भी धुन आसानी से निकालने लगे। अब ये किसी भी महफिल में ये अकेले ही रंग जमा देते हैं। इनकी पूछ इस कदर बढ़ गई है कि लोग इन्हें नौटंकी, आरकेस्ट्रा सहित विभिन्न गीत-संगीत कार्यक्रमों में बुलाने लगे।इस संबंध में सियाराम ने बताया कि विभिन्न वाद्य यंत्रों को बजाने का गुर धानापुर के गुरु लालचंद से सीखा है। अब भी रोजाना रियाज कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वाद्य यंत्र से मूलत: नौटंकी का संगीत बहुत ही अच्छे ढंग से बजाया जा सकता है। बताया कि पिछले 14 वर्ष से इस वाद्य यंत्र पर संगीत साधना कर रहे हैं।

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