रेज़सो सेरेस का जन्म 1889 में बुडापेस्ट में हुआ था। उनकी जिंदगी का ज्यादातर वक्त गरीबी में गुजरा। वे एक पियानो वादक और गीतकार थे। 1932 में वे पेरिस में बतौर गीतकार कदम जमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे यहां किसी को प्रभावित नहीं कर पा रहे थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इस बात पर उनकी गर्लफ्रेंड से बहस होती थी।वह चाहती थी कि रेज़सो कोई नौकरी कर लें। एक दिन इंतेहा हो गई और ये जोड़ी कटु शब्दों के साथ जुदा हो गई। गमगीन हो चुके रेज़सो पियनो पर बैठ गए और घंटों बीती यादों को ताजा करते रहे। फिर अचानक उन्होंने कलम थाम ली और ग्लूमी संडे गीत लिख दिया।ये गीत दुनियाभर में प्रकाशित हुआ। फिर एकाएक इस गीत के साथ एक रहस्य जुड़ गया। एक दिन बर्लिन में एक युवक ने बैंड वालों से यह गीत बजाने को कहा। इसके बाद वह घर गया और खुद के सिर में गोली मार ली। ये गाना सुनकर वह बेहद हताश हो गया और ये सदमा दिमाग से नहीं निकाल सका। कुछ दिन बाद वहां एक लड़की फांसी पर झूलती मिली। उसके कमरे में भी ग्लूमी संडे की कॉपी थी।इसके दो दिन बाद एक और लड़की ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उसके अंतिम संस्कार में ये गीत बजाया जाए। एक हफ्ते बाद न्यूयॉर्क में एक 82 वर्षीय बुजुर्ग ये गीत सुनते-सुनते अचानक सातवीं मंजिल से कूद गए।ऐसे और भी दर्जनों केस सामने आए और इस गीत के रहस्य को खबरों में भी जगह मिली। फिर भी द्वितीय विश्वयुद्ध की उधेड़-बुन में ये गीत भुला दिया गया। फिर भी इस गीत में कैसा दर्द था, जिसे कमजोर दिल वाले सहन नहीं कर पाते थे, यह राज ही बना हुआ है।राज है गहरा-1932 में रेज़सो सेरेस ने ग्लूमी संडे गीत लिखा था। इस गीत को सुनने के बाद बहुत से लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। आखिर इसमें कैसा दर्द है यह आज भी राज है।
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