Wednesday, February 9, 2011

सन्नाटे में डूबीं दार्जिलिंग की पहाड़ियां


दार्जिलिंग [जासं]। डुवार्स के शिब्सू में पुलिस की गोली से गोरखा जनमुक्ति मोर्चा [गोजमुमो] के दो समर्थकों की मौत के बाद से दार्जिलिंग हिल्स में तनाव है। गोजमुमो का बेमियादी बंद बुधवार को पूरी तरह से प्रभावी रहा। स्थिति भयावह होने के बावजूद प्रशासन को सेना उपलब्ध नहीं हो पाई, लिहाजा सीमा सुरक्षा बल ने मोर्चा संभाल लिया है। उसने हिल्स के विभिन्न शहरों में फ्लैग मार्च किया। यह दीगर बात है कि बुधवार को कहीं पर हिंसा व आगजनी की घटना नहीं हुई।मंगलवार को पुलिस फायरिंग के विरोध में हुई हिंसा में सरकारी संपत्ति के भारी नुकसान के बाद बुधवार से बेमियादी दार्जिलिंग हिल्स बंद शुरू हो गया। सभी दुकानें बंद रहीं। चाय बागान, सिंकोना बागान समेत सभी सरकारी-गैर सरकारी कार्यालय बंद रहे। वाहनों का आवागमन ठप रहा। इसके चलते पहाड़ पर पहुंचे पर्यटक परेशानी में फंस गए हैं। वे चाय-पान तक के लिए तरस गए हैं। पर्यटक अब वापसी की राह तलाश रहे हैं। ऐसे पर्यटकों में इटली व जापान के पर्यटक ज्यादा है। पर्यटक मेरी ने कहा-मैंने दार्जिलिंग हिल्स के बारे में काफी सुना था। सचमुच दार्जिलिंग काफी सुंदर है, मगर इसकी खूबसूरती का आनंद लिए बिना लौटने की नौबत आ गई है। यहां दो सप्ताह तक रहने की इच्छा थी। अन्य पर्यटक भी हालात से काफी निराश नजर आए।उधर, गोजमुमो ने सिब्सू पुलिस फायरिंग के लिए मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य व नगर विकास मंत्री अशोक नारायण भंट्टाचार्य को जिम्मेदार ठहराया है। हिल्स के विभिन्न स्थानों पर दोनों नेताओं के पुतले फूंके गए। गोजमुमो प्रवक्ता डॉ. हर्क बहादुर क्षेत्री ने कहा कि फायरिंग साजिश का नतीजा है। लिहाजा इसकी सीबीआइ जांच कराई जाए।माओवादियों ने किया समर्थन का एलान- माओवादियों ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समर्थकों पर मंगलवार को पुलिस फायरिंग की निंदा करते हुए गोरखालैंड आंदोलन के समर्थन का एलान किया है। भाकपा [माओवादी] की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि निर्दोष लोगों पर पुलिस की फायरिंग का सभी को विरोध करना चाहिए। माओवादियों ने गोजमुमो के आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए 11 फरवरी [शुक्रवार] को पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर, पुरुलिया और बांकुड़ा जिलों में 24 घंटे के बंद का आह्वान किया है।

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