Tuesday, February 8, 2011

अब हो सकेगा अंधेपन का इलाज


लंदन। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय दल ने उम्र बढ़ने के साथ कम होती आंखों की रोशनी के कारणों का पता लगा लिया है। वक्त के साथ आती इस कमजोरी को 'एज रिलेटिड मैक्यूलर डिजनरेशन' [एएमडी] कहते हैं। सामान्यत: एएमडी दो प्रकार के होते हैं, नम और शुष्क। उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति के शरीर में एक विषैला प्रोटीन बनता है। जो रेटिना की कोशिकाओं को नष्ट करता है। इस वजह से शुष्क एएमडी उत्पन्न होता है और यह बढ़ते-बढ़ते व्यक्ति को अंधा तक कर देता है।अभी तक केवल नम एएमडी का इलाज की दवाएं उपलब्ध हैं, जो कि काफी आम है। मगर शुष्क एएमडी को ठीक करने के लिए अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं है।यूनिवर्सिटी ऑफ केंटुकी के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. जयकृष्ण अंबती और उनके सहयोगियों ने पाया कि 'डाइसर' नाम का एक एंजाइम शुष्क एएमडी को बढ़ने से रोकता है। मगर शरीर में जब 'डाइसर' का स्तर घटने लगता है, तो विषैले प्रोटीन का निर्माण तेजी से होने लगता है। जो कि रेटिना की कोशिकाओं को नष्ट कर आंख की रोशनी कम करता है।ब्रिटिख अखबार 'डेली एक्सप्रेस' के अनुसार, वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि आंखों की रोशनी घटने के कारण जानने के बाद व्यक्ति को पूरी तरह अंधा होने से रोका जा सकेगा। अध्ययन के परिणाम 'नेचर जर्नल' में प्रकाशित किए गए हैं।

0 comments:

Post a Comment