परफॉर्मिंग ऑर्ट काउंसिल ने लाहौर के सभी थियेटरों में बॉलिवुड के गाने और उसपर किए जाने वाले परफॉर्मेंस पर बैन लगा दिया है। काउंसिल ने कहा कि बॉलिवुड के गाने में अश्लीलता होती है और वह थियेटरों में सिर्फ क्लासिकल डांस को बढ़ावा देना चाहती है। लाहौर आर्ट्स काउंसिल के इस फैसले से हालांकि प्रड्यूसर्स और कलाकार खुश नहीं हैं।कमर्शल थियेटर प्रड्यूसर्स असोसिएशन के चेयरमैन चौधरी ज़ुल्फिकार अहमद ने तीखे लहजे में पूछा , ' पाकिस्तान में आखिर फिल्म ही कितने बनते हैं ? और जो बनते भी हैं उनमें से कितनों के गाने इस लायक होते हैं कि अपने नाटकों में इस्तेमाल करें। ' उन्होंने कहा अगर हम भारतीय गानों पर परफॉर्म नहीं कर सकते, तो फिर बचता ही क्या है।अहमद ने कहा कि दरअसल बॉलिवुड के गानों को नहीं बल्कि उन कलाकारों और प्रड्यूसरों को बैन करने की जरूरत हैं जो नैतिकता को ताक पर रख देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्लासिकल डांस के कद्रदान बहुत कम हैं, ऐसे में कमर्शल थियेटरों को चलाना मुश्किल हो जाएगा। अश्लीलता पर रोक लगाने के लिए उन्होंने काउंसिल को स्क्रिप्ट के लिए सेंसरशिप की व्यवस्था सख्ती से लागू करने की सलाह दी।हालांकि, कई पाकिस्तानी कलाकार भारतीय फिल्मों के गाने पर बैन के समर्थन में भी खुलकर बोल रहे हैं। उस्मान परीजादा ने कहा कि अक्सर इन थियेटरों में अश्लील नाटकों का मंचन होता है और इनकी कोई प्रासंगिकता भी नहीं होती है।
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