Monday, March 7, 2011

बेटे के लिए कुर्बान किया पिता ने अपना जीवन


हर बेटा अपने पिता से प्रेरणा लेता है, लेकिन यहां प्रेरणा की एक नई मिसाल देखने को मिलती है। 70 साल के हो चुके डिक हॉएट अब तक एक हजार से ज्यादा रेस में हिस्सा ले चुके हैं। सभी में वे अपने 49 वर्षीय विकलांग बेटे रिक की व्हीलचेयर भी धकेलते रहे हैं। डिक अगले महीने होने वाली बोस्टन मैराथन में 29वीं बार शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। इस उम्र में मैराथन रेस में शामिल होना और वो भी बेटे को व्हीलचेयर पर बिठाकर, सचमुच बड़े आश्चर्य की बात है।
रिक का जन्म 1962 में हुआ था। ऑक्सीजन की कमी के कारण उन्हें दिमागी लकवा मार गया था। डॉक्टर्स ने डिक और उनकी पत्नी जूडी को बता दिया था कि रिक की हालत में सुधार की कोई संभावना नहीं है। वे कभी भी सामान्य जीवन नहीं जी सकेंगे। फिर भी डिक ने हार नहीं मानी और अपने बेटे को किसी विकलांगों की संस्था में भर्ती नहीं किया। वे उसे मैसाचुसेट्स के सामान्य स्कूलों में भर्ती करने के लिए लड़ते रहे।आखिरकार उनकी जीत हुई और 1975 में रिक को एक पब्लिक स्कूल में एडमिशन मिला। इसके दो साल बाद रिक ने पिता से एक पांच मील की चैरिटी रेस में शामिल होने की इच्छा जताई। डिक तैयार हो गए और एक नई टीम बन गई। उस रात रिक ने कहा डैड जब मैं दौड़ रहा था तो मुझे लगा कि मैं विकलांग नहीं हूं।

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