Thursday, December 23, 2010

श्रीलंका की बाला ने डाली श्रीहरि के गले वरमाला


वाराणसी, जागरण संवाददाता। दौर आधुनिकता का हो या व्यावसायिकता का, आस्था और विश्वास के आगे सभी नतमस्तक। आस्था प्रभु में और विश्वास ज्योतिष में। इसी में बंधी श्रीलंकाई बाला लक्षिका बाबा भोले की नगरी में खिंची चली आई। मंगली दोष से निवारण को उसने सारंगनाथ महादेव मंदिर में मंगलवार को भगवान विष्णु के प्रतीक विग्रह से विवाह रचाया। प्रभु के गले में वरमाला डाली तो सिंदूर से अपनी मांग भी सजायी।विवाह के जोड़े में सजी, सोलह श्रृंगार और घूंघट की ओट। कभी प्रभु को निहारती तो चूडि़यों की खनखनाहट के साथ ललाट पर ढलक आए बालों को संवारती। मेंहदी से सजे हाथों से हवन कुंड में आहुति देती। खालिस हिंदू रीति रिवाज और मंत्रों की गूंज। इनसे भाव विभोर होती कोलंबो की मल्टीनेशनल कंपनी में सेवारत 26 वर्षीया लक्षिका। कान्वेंट एजुकेटेड और बौद्ध देश के एक बौद्धिष्ट परिवार से जुड़ी। इसके बाद भी ज्योतिष में अगाध विश्वास। विवाह में आ रही बाधाओं पर परिजनों ने ज्योतिषी की शरण ली। उन्होंने उसकी कुंडली बनाई, इसमें लक्षिका के मंगली होने का पता चला। बताया कि बाबा भोले की नगरी काशी में सभी दोष कट जाते हैं। साथ ही काशी में इस दोष के निवारण के लिए अनुष्ठान करने की सलाह दी। बस, लक्षिका ने परिवारजनों के साथ काशी आने की योजना बना ली। इसके लिए श्रीलंकाई टूर आपरेटर के जरिए सारनाथ स्थित साड़ी व्यवसायी आत्माराम से संपर्क साधा। उनकी श्रद्धा देख आत्माराम ने सारंगनाथ मंदिर में अनुष्ठान की व्यवस्था की। प्रदीप चंद्र त्रिपाठी समेत तीन ब्राह्मणों ने अनुष्ठान कराया। इसमें लक्षिका की माता, चाची, चचेरा भाई व बड़ी बहन भी शामिल हुए और रस्में निभाई।

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