हर व्यक्ति की जिंदग़ी सुख और दु:ख का सिलसिला होता है। सुख जहां व्यक्ति को जीने का जज्बा देते हैं, वहीं दु:ख तन, मन और मनोबल पर बुरा असर करते हैं। ऐसे ही दु:ख का रूप है-चिंता। वैसे चिंताओं को दूर रखने का सरल उपाय है - जरूरतों, अपेक्षा, उम्मीदों को एक नियत दायरे में रखना। किंतु अगर धार्मिक उपाय खोजें तो शास्त्रों में भगवान श्री गणेश को चिंताहरण करने वाला देवता के रूप में पूजा जाता है।
बुधवार का दिन भगवान श्री गणेश का स्मरण कर चिंताओं से पैदा हुई बैचेनी व्यग्रता और दु:खों से मुक्ति के लिए विशेष महत्व है। तन, मन या धन की चिंताओं से व्यावहारिक जीवन में मची उथल-पुथल का अंत करने के लिए ही शास्त्रों में भगवान श्री गणेश का ऐसा मंत्र बताया गया है, जिसमें छुपा भगवत प्रेम और भाव मन में भरोसा और विश्वास पैदा करता है। इसलिए जब भी चिंता से बैचेनी हो इस मंत्र को मात्र बोलने से ही चिंताओं से मुक्ति के साथ दिलो-दिमाग में सुकून और राहत मिलती है।
जानते हैं बुधवार के दिन श्री गणेश पूजा की सरल विधि के साथ इस चिंताहरण मंत्र को -
- प्रात: स्नान कर भगवान श्री गणेश की आराधना घर या देवालय में करें।
- श्री गणेश की पूजा में गंध, अक्षत, पीले फूल, अबीर, गुलाल, दुर्वा, सिंदुर चढ़ाएं।
- यथाशक्ति मोदक यानि लड्डुओं का भोग लगाएं।
- पूजा के बाद इस चिंता या शोक हरने वाले श्री गणेश मंत्र की यथाशक्ति माला करें या किसी भी परेशानी के समय स्मरण कर मन ही मन जाप करें -
ऊँ नमो विघ्रहाराय गं गणपतये नम: ।।
इसके अलावा यह पौराणिक मंत्र भी शोक या चिंताओं का नाश करने में बहुत प्रभावी माना जाता है-
गजाननं भूत गणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फल चारूभक्षणं।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्रेश्वर पादपं कजम।।
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