कानपुर। दो साल की उम्र में जब बच्चे खिलौनों से खेलते है, तबसे काजल सांपों से खेल रही है। उसका गरीब पिता उसे खिलौने लाकर नहीं दे सकता, पर रोजी-रोटी का जरिया सांप जरूर पकड़ता है। यहीं सांप काजल के बचपन के साथी हैं। और उसके खिलौने भी। इस परिवार का सांपों के साथ तीन पीढ़ी पुराना रिश्ता है। परिवार इन्हीं सापों की बदौलत पल रहा है। इनकी कहानी इतनी रुचिकर है कि इनपर बारक्राफ्ट इंडिया एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बना रहा है। इसे जल्द ही डिस्कवरी पर प्रसारित किया जाएगा।घाटमपुर के मूसानगर रोड पर बाजीगर मोहाल में रहने वाले सपेरा ताज मोहम्मद उर्फ भूरा सांप वाला और उसके परिवार पर फिल्म बनाने की टीम पिछले तीन दिनों से भूरा के परिवार के लोगों के साथ दिन का वक्त गुजार रही है। इस डयक्यूमेंट्री फिल्म को डिस्कवरी चैनल में प्रसारित किया जाएगा। बारक्राफ्ट इण्डिया दिल्ली से आए सैय्यद वाहिद बुखारी, शारिक मोहम्मद और लंदन के रिचर्ड ने रविवार को भूरा और उसकी सात वर्षीय बेटी काजोल को जंगल में ले जाकर फिल्म के कुछ दृश्य शूट किया।जंगल में शंकर जी के बने एक प्राचीन मंदिर में भूरा और काजोल को ले जाकर टीम ने खतरनाक सांपों को पकड़ने, उनके रख-रखाव और जहरीले सांपों के बीच उनके रहने संबंधी कुछ महात्वपूर्ण हैरतअंगेज तौर-तरीकों को कैमरे में कैद किया। हिंदी न बोल पाने और समझने की दिक्कत को दूर करते हुए सैय्यद बुखारी रिचर्ड और भूरा व काजोल के बीच द्विभाषिए का काम कर रहे हैं। एक टीवी चैनल में भूरा सांप वाले के हैरत अंगेज कारनामों को देखकर बारक्राफ्ट इण्डियां की टीम यहां पहुंची है।बताते चले की घाटमपुर कस्बे के बाजीगर मोहाल में करीब 20 सालों रह रहे ताज मोहम्मद उर्फ भूरा सांप वाले की बीती तीन पीढ़िया सांप पकड़ उनके कारनामें दिखा कर परिवार के भरण पोषण का नाम कर रही हैं। वह आसपास के जिलों में जाकर अपने हैरतअंगेज कारनामें दिखाता है। लेकिन आज मंहगाई के इस दौर में भूरा इस खतरनाक काम से अपने परिवार को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बामुश्किल कर पाता है। चौथी पीढ़ी के उसके परिवार के बच्चें गुलाब, सिराज और काजोल भी जहरीले से जहरीले सांप को पकड़ने में पूरी तरह से दक्ष हैं। जिसमें की उसकी छोटी बेटी काजोल खरनाक सांपों को अपने इशारे पर ऐसे नचाती हैं जैसे सर्कस में रिंग मास्टर शेर को।आज वह अकेले ही कोबरा, करैत, गेहुअन, तांबिया, और ब्लैक कोबरा जैसे खतरनाक व जहरीले सांपों को पकड़ कर कैद कर लेती है। काजोल को यह अच्छी तरह से पता है कि किस सांप को कब क्या खाना है।सांपो को नहीं लगती 36 घंटे तक भूखसांप मांसाहारी होते हैं और एक बार खाने के बाद उन्हें 36 घंटे तक भूख नहीं लगती। डाक्यूमेंट्री फिल्म का मुख्य किरदार बनी काजोल भले ही यह नहीं जानती हो कि इस फिल्म के बनने से क्या होगा। लेकिन उसका कहना है कि एक न एक दिन वह अपने अब्बू के सपनों को जरूर पूरा करेगी। वहीं काजल के पिता भूरा का कहना है कि उसे नहीं मालूम था कि रोजी-रोटी का सहारा बनने वाला उसका यह खरनाक काम उसकी बेटी और परिवार को इनती शोहरत प्रदान करेगा कि उसके ऊपर फिल्म बन रही है।
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