सूफी गायक हंसराज हंस हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए। हंस ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी जाॅइन की। इससे पहले वे फरवरी में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। उनके जीवन का एक रोचक वाकया है। दरअसल,उनकी दो कैसेट्स ही रिलीज हुई थीं। इतने लोग जानते भी नहीं थे। दिनभर के भूखे एक दिन शाम को चले गए किसी ठेले वाले के पास खाना खाने। प्लेट पकड़ी और ठेले वाले से कहा-पाजी मेरे पास पैसे नहीं है। यह सुन ठेले वाले ने झट से प्लेट छीन ली।अब ठेले वाले को देते हैं दो हजार रुपए...
-कई सालों बाद जब वे जाने-माने गायक हो गए। तब वे फिर उस ठेले वाले के पास गए और बोले-ये दो हजार रुपए लो।
- जो कोई गरीब तुम्हारे पास आए उसे भूखा न जाने देना। तब से लेकर आज तक वह हर महीने उस ठेले वाले को दो हजार रुपए देते हैं।
- सिंगर हंसराज हंस सूफी गायक हैं। उन्होंने पंजाबी फोक म्यूजिक को फिल्मों के माध्यम से देश-दुनिया में पहचान दी है।
- हंसराज ने पंजाबी फोक म्यूजिक को फिल्मों के माध्यम से देश-दुनिया में पहचान दी है।
- उनका जन्म गरीब सिख परिवार में 9 अप्रैल 1964 को जालंधर के पास शफीपुर में हुआ।
- पिता रशपाल सिंह और मां सिरजन कौर के यहां जन्मे हंसराज का एक समय यह भी था कि उनके पास खाना खाने को पैसे नहीं होते थे।
गायकी से मिला पद्मश्री
- हंस बचपन से ही गायकी के शौकीन रहे। दोस्त सतनाम सिंह गिल ने उनका बहुत साथ दिया। हंस ने पहली बार कनाडा में दो शो किए जो हिट हुए।
- फिर 1984 के दंगों के बाद शो कैंसिल हो गए। लेकिन उन्होंने दूरदर्शन पंजाब में प्रस्तुतियां देना शुरू किया।
- इसके बाद कई कॉन्सर्ट्स में सूफी और पंजाब की लोक गायकी के जलवे बिखेरे। उन्होंने शुरुआत में संगीतकार चरणजीत आहुजा से गायकी के गुर सीखे।
- स्कूली दिनों में उन्होंने तीन बार पंजाब विवि का सिंगिंग अवॉर्ड हासिल किया।
- पंजाब सरकार के स्टेट सिंगर के अवॉर्ड से भी वे नवाजे गए। गायकी में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री भी मिला।
इंडी-पॉप गीतों से मचाई धूम
- गुरदास मान के बाद ये पहले स्थापित पंजाबी सिंगर थे,जिन्होंने पंजाब की लोक गायन शैली को बड़ा मंच दिया।
- उन्होंने इंडी-पॉप गीतों में पंजाबी गायकी का फ्यूजन पेश किया जो उनके प्रशंसकों को बहुत अच्छा लगा।
- इसके बाद ताे उन्होंने एक के बाद एक कई म्यूजिक एलबम लांच किए,जो बेहद लाेकप्रिय हुए।
- दिल टोटे टोटे हो गया गीत ताे उनकी पहचान बन गया। उन्हाेंने पाकिस्तान में भी म्यूजिक कार्यक्रम पेश किए और अपनी गायकी का लोहा मनवाया।
- उन्होंने नुसरत फतेहअली खान के साथ भी कार्यक्रम पेश किए। खासतौर पर फिल्म कच्चे धागे में उनके साथ कव्वाली गाई थी,जो बेहद सराही गई।
- गायन के साथ ही उन्होंने राजनीति में भी भाग्य आजमाया। वे 2009 में शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर लाेकसभा में चुनकर आए। लेकिन राजनीति में आने के बाद से संगीत जगत से लगभग नदारद हो गए।
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