Sunday, December 11, 2016

कैसे एक बस कंडक्टर से सुपरस्टार बने रजनीकांत ?


जहां कल्पनाएं ख़त्म होती हैं वहीं से रजनीकांत का करिश्मा शुरू होता है!!!! 12 दिसंबर 1950 को जन्में रजनीकांत एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें सिर्फ एक इंसान नहीं बल्कि एक संस्थान के तौर पर भी देखा जाता है। वो देश के सबसे महंगे फिल्म स्टार्स में से एक हैं। शिवाजी फिल्म में अभिनय के लिए जब उन्हें 26 करोड़ रुपये अदा किये गये तो वे जेकी चान के बाद एशिया के सबसे अधिक भुगतान किये जाने वाले अभिनेता बन गये। कैसे एक बस कंडक्टर से सुपरस्टार बने रजनीकांत ? दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी जिंदगी हमें प्रेरणा प्रदान करती है। साउथ में वैसे तो बहुत से जाने माने कलाकार हैं पर रजनीकांत से बड़ा सुपरस्टार आज भी साउथ के सिनेमा में नहीं है। रजनी को न सिर्फ साउथ में बल्कि हिंदी सिनेमा के दर्शक भी बहुत पसंद करते हैं जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की रजनीकांत की फिल्म हिंदी समझने वाले दर्शकों के लिए हिंदी में रिलीज की जाती है और साउथ के साथ-साथ बॉलीवुड में भी झंडे गाड़ती है। रजनीकांत के नाम से पहले सुपरस्टार लगाना कोई नहीं भूलता। रजनीकांत के जन्मदिन पर जानिए उनकी कहानी कैसे एक बस कंडक्टर से सुपरस्टार रजनीकांत बने कबाली? रजनीकांत का परिचय: रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को बेंगलुरू में हुआ था। उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़ एक हवलदार थे। उनकी मां का नाम जीजाबाई था जिनकी मौत के बाद चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रजनीकांत को अहसास हुआ कि घर की माली हालत ठीक नहीं है। फिर परिवार को सहारा देने के लिए रजनीकांत ने कुली का भी काम किया। बस कंडक्टर से फिल्मों तक: बाद में रजनीकांत बेंगलुरु परिवहन सेवा(बी.टी.एस) में बस कंडक्टर बन गए। एक कंडक्टर के तौर पर भी रजनीकांत का अंदाज़ किसी फिल्म स्टार से कम नहीं था| वो अपनी अलग शैली से टिकट काटने और सीटी मारने को लेकर यात्रियों और दूसरे बस कंडक्टरों के बीच खासा विख्यात थे| रजनीकांत कई मंचों पर नाटकों में एक्टिंग भी किया करते थे जिसके कारण उनका फिल्मों और एक्टिंग के लिए शौक बढ़ता ही गया जो बाद में धीरे-धीरे जुनून में तब्दील हो गया| लिहाज़ा उन्होंने अपनी कंडक्टर की नौकरी छोड़ कर चेन्नई में अद्यार फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया| एक बार इंस्टिट्यूट में एक नाटक के दौरान उस समय के मशहूर फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की नज़र रजनीकांत पर पड़ी और वो रजनीकांत से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने नाटक के बाद ही रजनीकांत को अपनी फिल्म में अभिनय का प्रस्ताव दे डाला। जनीकांत से सुपरस्टार रजनीकांत तक का सफर: फिल्मी करियर की शुरुआत उन्होंने बालाचंदर निर्देशित तमिल फिल्म 'अपूर्वा रागगाल' से की जो 1975 में रिलीज हुई थी, एस फिल्म में रजनीकांत ने विलेन का किरदार दिया गया था। फिल्म में उनका रोले छोटा था, लेकिन इसने उन्हें आगे और भूमिकाएं दिलाने में मदद की। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था। इसके बाद 1975 में ही तेलुगू फिल्म 'छिलाकाम्मा चेप्पिनडी' में उन्हें मुख्य अभिनेता की भूमिका मिली जो हिट रही। इसके बाद रजनीकांत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होने दर्जनों हिट फिल्मों की लाइन लगा दी जिनमें बाशा, मुथू, अन्नामलाई, थालाप्ति, अरुणाचलम मुख्य थीं धीरे-धीरे रजनीकांत की फिल्मों की कामयाबी और दर्शकों के प्यार ने उन्हें 'सुपरस्टार रजनीकांत' बना दिया। बॉलीवुड फिल्मों में भी की बेहतरीन अदाकारी: रजनीकांत ने हिंदी सिनेमा में भी कई फिल्मों में काम किया और सभी फिल्में सफल रहीं जिनमें 'मेरी अदालत', 'जान जॉनी जनार्दन', 'भगवान दादा', 'दोस्ती दुश्मनी', 'इंसाफ कौन करेगा', 'असली नकली', 'हम', 'खून का कर्ज', 'क्रांतिकारी', 'अंधा कानून', 'चालबाज', 'इंसानियत का देवता' जैसी हिंदी फिल्में शामिल हैं। हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ भी उनकी जोड़ी को काफी पसंद किया जाता था। दर्शकों में सुपरस्टार रजनीकांत का क्रेज: अपनी चलने की ख़ास स्टाइल, संवाद अदायगी के साथ-साथ उनका सिगरेट जलाने का अनोखा अंदाज दर्शकों के सिर चढ़ कर बोलता था। रजनीकांत के फैन उनको भगवान की तरह पूजते हैं, उनका क्रेज उनकी उम्र के साथ-साथ बढ़ता ही जा रहा है, उनकी फिल्में देखने के लिए लोग आज भी सिनेमाघरों के बाहर दो दिन पहले से ही लाइनों में लग जाते हैं ताकि पहले दिन पहले शो का मजा ले सकें और अगर किसी कारणवश पहला शो नहीं तो कम से कम पहले दिन अपने सुपरस्टार की फिल्म का लुत्फ़ उठा सकें। सिनेमाहॉल में अब भी रजनी की एंट्री पर बजने वाली सीटियां, डायलॉग्स पर बजने वाली तालियां और विलेन को मारते वक़्त उनके एक-एक घूसों पर दर्शकों का चिल्लाना इस स्टार की अजेय शख़्शियत को दर्शाता है। रजनीकांत पर बनने वाले चुटकुले भी उनका युवाओं में क्रेज दर्शाते हैं। सभी जोक्स में रजनीकांत को एक ऐसा सुपरहीरो दर्शाया गया है जिसके लिए कुछ भी करना मुश्किल नहीं। कई फिल्मों में रजनीकांत पर गाने भी बनाये गए हैं। यूं ही नहीं रजनीकांत भारतीय सिनेमा के सबसे महंगे कलाकार हैं, उनका फिल्म में होना ही फिल्म की सफलता की गारंटी बन जाता है। रजनीकांत को मिलने वाले पुरस्कार: वर्ष 2014 में रजनीकांत 6 तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवार्ड्स से नवाजे गए, जिनमें से चार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और दो स्पेशल अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर के थे। साल 2000 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 45वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया 2014 में रजनीकांत को सेंटेनरी अवॉर्ड फॉर इंडियन फिल्म 'पर्सनेल्टिी ऑफ द ईयर' से सम्मानित किया गया। हालांकि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की वजह से रजनीकांत इस बार अपना जन्मदिन बड़ी सादगी से मनाने वाले हैं लेकिन रजनीकांत ने अपने जन्मदिन से पहले ये कहकर सनसनी फैला दी है कि 1996 मेें उनके विरोध की वजह से एआईएडीएमके को तमिलनाडु में सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।

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