लंदन।। वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं में गर्भाशय प्रत्यारोपण अगले साल से हकीकत बन सकता है। इससे गर्भाशय में परेशानी के कारण संतान सुख से वंचित महिलाओं को उम्मीद की नई किरण आ सकती है।स्वीडन में यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के प्रफेसर मैट्स ब्रैनस्टॉर्म की अगुआई में डॉक्टरों की टीम ने जानवरों पर इस तकनीक का सफल प्रयोग कर लिया है। डॉक्टरों का दावा है कि संतानहीन महिलाओं में डोनर से मिले स्वस्थ गर्भाशय का ट्रांसप्लांट जल्द ही शुरू किया जाएगा। इससे उन महिलाओं को फायदा होगा , जिनमें जन्म से ही गर्भाश्य नहीं होता या बीमारी की वजह से उसे निकालना पड़ता है।डॉक्टर अब तक चुहिया , भेड़ और सूअरों में सफलतापूर्वक इंप्लांट करके देख चुके हैं। उन्हें महिलाओं में भी इसी तरह की सफलता मिलने की उम्मीद है। अब तक सिर्फ एक बार वर्ष 2000 में सऊदी अरब में एक महिला में गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया था लेकिन चार महीने के बाद उसने काम करना बंद कर दिया था।स्वीडन के डॉक्टरों का मानना है कि तब गर्भाशय प्रत्यारोपण फेल होने की वजह उसे शरीर की ब्लड सप्लाई से सही तरीके से जोड़ने में आई दिक्कत हो सकती है। तबसे लेकर अब तक सर्जरी के क्षेत्र में काफी तरक्की हो चुकी है।प्रो . ब्रैनस्टॉर्म का कहना है कि अगले साल तक दुनिया भर में दस चुनिंदा अस्पतालों में से किसी एक में हम महिला पर गर्भाशय ट्रांसप्लांट का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन यह प्रत्यारोपण टेंपररी होगा और इसे एक - दो प्रेगनेंसी के बाद हटाना पड़ सकता है। महिलाओं में गर्भाशय प्रत्यारोपण को साकार करने में लंदन के हैमरस्मिथ अस्पताल के डॉक्टर भी जुटे हैं। वह खरगोशों में इसका सफल प्रयोग कर चुके हैं।
0 comments:
Post a Comment