लंदन। शिशुओं के विकास के संबंध में एक नए शोध में दावा किया गया है कि मां जितनी ऊर्जा और समय अपने शिशु के पालन पोषण में लगाती है, उसी अनुपात में उनके बच्चे के दिमाग का विकास होता है।डरहम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा मानव समेत 128 स्तनधारियों पर किए गए शोध के मुताबिक दिमाग का विकास इस बात से जुड़ा हुआ था कि गर्भाधारण अवधि कितनी लंबी थी और और शिशु को कितने समय तक स्तनपान कराया गया।शोध में बताया गया है कि आखिर महिलाएं नौ महीने तक गर्भ में अपने बच्चों को रखने के बाद भी तीन साल तक स्तनपान क्यों कराती हैं। शोध के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि शिशु की इतने लंबे समय तक मां पर निर्भरता के बाद उसके दिमाग के विकास के लिए यह आवश्यक हो जाता है।मनुष्य के भार के समान हिरण की एक प्रजाति पर किए गए अध्ययन के मुताबिक हिरण के गर्भ में शिशु के सात महीने तक रहने और छह महीने तक स्तनपान करने के बावजूद मनुष्य की तुलना में उसके मस्तिष्क का विकास छह गुना कम हुआ।शोधकर्ताओं ने मनुष्य समेत हाथी, गोरिल्ला और ह्वेल जैसे स्तनधारियों के मस्तिष्क और शरीर के आकार और जीवन इतिहास में बदलाव के सांख्यिकी प्रमाणों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि इनके शिशुओं के मस्तिष्क और शरीर का आकार शिशुओं को गर्भ में रखने एवं उनको स्तनपान कराने के समय पर काफी हद तक निर्भर करता है।मुख्य शोधकर्ता और डरहम विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रॉबर्ट बार्टन ने कहा, 'पहले ये साफ नहीं था कि क्यों मस्तिष्क और जीवन चक्र एक-दूसरे से संबंधित हैं। हमारे अध्ययन से इस संदर्भ में सहायता मिलेगी कि शिशुओं के जन्म से पहले और बाद के विभिन्न चरणों में उनके विकासवादी परिवर्तनों का मस्तिष्क के विकास पर कैसा प्रभाव पड़ता है।' यह शोध 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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