Monday, August 5, 2013

बीयर केन से बना एक अजूबा घर

John Milkovisch

बीयर केन से बना एक अजूबा घर
आप अपने घर को सजाने के लिए क्या-क्या नहीं करते। महंगे से महंगा पेंट, महंगी पेंटिंग और न जाने क्या-क्या। पर क्या आप कभी सोच भी सकते हैं कि आपकी कोल्ड ड्रिंक की टिन की केन या बीयर केन भी आपका घर सजा सकती है। शायद नहीं। अपने घर की दीवारों पर पेंट की जगह कोल्ड ड्रिंक की केन इस्तेमाल करने की तो शायद आप सपने में भी नहीं सोच सकते। पर कभी-कभी कुछ चीजें बिना सोचे यूं ही हो जाती हैं। दुनिया को पागलपन लगता है, पर असलियत में वह एकदम नया इतिहास बन जाता है।हॉस्टन में एक आदमी ने अपने घर को पेंट की जगह बीयर केन से सजाया है।
हॉस्टन का रहने वाला जॉन मिल्कोविच आज इस दुनिया में नहीं है। पर अपने घर को 50 हजार बीयर केन से सजाने का उसका अनोखा अंदाज हर किसी की जुबान पर है। हॉस्टन में बीयर केन से सजा जॉन का घर लोग दूर-दूर से देखने आते हैं, पर जब तक जॉन जिंदा थे लोग उन्हें दिमागी तौर पर कमजोर मानते थे।दरअसल जॉन मिल्कोविच डिप्रेशन के शिकार थे। वे अपनी कोई भी चीज फेंकते नहीं थे। बीयर केन भी पीने के बाद फेंकते नहीं थे। इस तरह उनके घर में बीयर केन के ढेर जमा होने लगे। 1970 के शुरुआती दिनों में उन्होंने केन को काटकर उसे दीवारों पर लटकाना शुरू किया। हालांकि जॉन ने इसे कोई अजूबा या नायाब घर बनाने के मकसद से नहीं किया था। जॉन बस पड़ोसियों को खीज दिलाने के लिए ऐसा कर रहे थे। धीरे-धीरे यह खाली समय में वक्त बिताने का उनका साधन बन गया। मजे की बात यह है कि 17 महीने लगातार अपने खाली समय में ही काम कर पूरा घर उन्होंने केन से सजा दिया।
1980 जॉन की मृत्यु हो गई पर उनकी पत्नी और बेटे ने उनके इस अजूबे काम के निशान मिटाए नहीं। वे गंदे या जर्जर हो चुके केन को समय-समय पर हटाकर उसकी जगह नया केन लगा देते। इस तरह जॉन का यह घर अन्य सभी घरों से अलग दिखने लगा। यह पूरा घर टिन के डिब्बों से ढंका है। इसमें 50 हजार केन लगे हुए हैं। इसका एक फायदा यह भी है कि काटकर लगाई हुईं केन की लडि़यां हवा के झोंकों से एक-दूसरे से टकराकर मधुर आवाज करती हैं। बेकार चीज समझकर फेंक देने वाले टिन के केन से इतनी खूबसरती से सजा यह घर आज हर किसी के आकर्षण का केंद्र है।
10 साल पहले ऑरेंज शो सेंटर फॉर विजनरी आर्ट ने इसे फोक आर्ट का नमूना मानते हुए इसकी देखरेख और सुरक्षा के लिए अपने सेंटर के अंतर्गत ले लिया ताकि आम लोग भी फोक आर्ट के तौर पर इसे देख सकें। आज यही सेंटर इसकी देखरेख करता है। यह घर आम लोगों के लिए रविवार दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक देखने के लिए उपलब्ध है।

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