अञ्जुको सम्बन्ध बिच्छेद !

अञ्जुले मनोजसँग सम्बन्धबिच्छेदका लागि एक कानुन ब्यबसायीसँग परामर्श गरिरहेकी छन् ।

टीचर के टॉपलेस फोटो ने मचाया तूफान

ब्रिटेन के नामी हैरो स्कूल की एक आर्ट टीचर के टॉपलेस फोटो ने तूफान मचा दिया है। आर्ट टीचर जोएन सैली के ये उत्तेजक फोटो स्कूल के स्टूडेंट्स के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।

सेक्स डॉल ने बढ़ा दी सायरस की परेशानी!

किसी की लोकप्रियता और खूबसूरती का इससे भद्दा इस्तेमाल और क्या हो सकता है कि उसके नाम और पहचान पर सेक्स डॉल की बिक्री शुरु कर दी जाए।सिंगर माइले साइरस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।

अब नही देख पाएंगे पोर्न साइट्स

चीन में 62 ऐसी वेबसाइटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है

लांच हुआ दुनिया की सबसे बड़ी साइज का ब्रा

ब्रिटेन की एक कंपनी ने दुनिया की सबसे बड़ी साइज का ब्रा लांच किया है।

Wednesday, August 2, 2017

एक हफ्ते में करोड़ो की मालकिन हो गई ये लड़की

अमेरिका की रहने वाली 19 साल की रोजा डॉमिनिग्वेज ने लॉटरी के पांच टिकट खरीदे थे। एक टिकट की कीमत 320 रुपये थी। रोजा अक्‍सर लॉटरी की टिकट खरीदती हैं। पर कभी उनके साथ ऐसा नहीं हुआ कि एक हफ्ते में दो बार उनकी लॉटरी निकल आये और वो करोड़पति हो जाएं। रोजा बताती हैं उन्‍हें लॉटरी का टिकट खरीदना अच्‍छा लगता है। वो अपनी किस्‍मत आजमाती हैं। लॉटरी की टिकट लेने के लिये रोजा हफ्तेभर पहले तो डॉलर जोड़ती हैं फिर जाकर लॉटरी टिकट ले आती हैं। इस बार जब वो पहली लॉटरी टिकट लेकर आईं तो उन्‍होंने एक लॉख डॉलर की रकम जीती। रोजा ने जीती 4 करोड़ की रकम
एक लाख डॉलर जीतने के बाद रोजा की खुशी को ठिकाना नहीं रहा। वो फिर से लॉटरी खरीदने के लिये लॉटरी की दुकान पर गईं और एक लॉटरी की टिकट खरीद कर लाईं। इस बार भी किस्‍मत उनके साथ थी और उन्‍हें फिर से पांच लाख डॉलर की लॉटरी जीती। लॉटरी जीतने के बाद रोजा के बैंक में करीब 4 करोड़ 23 हजार रुपये प्रवेश कर चुके हैं। रोजा ने बताया कि वह इस रकम से शॉपिंग करेंगी और नई कार खरीदेंगी। इसके अलावा भी रोजा ने एक लंबी शॉपिंग लिस्‍ट तैयार रखी है। वो पूरे हफ्ते खूब शॉपिंग करेंगी और दोस्‍तों के साथ मस्‍ती करेंगी। 

Tuesday, August 1, 2017

101 साल की महिला बनी मां, मेडिकल जगत अचंभे में


बहुत से लोगों का मानना है कि एक उम्र के बाद महिलाओं में प्रजनन संबंधी परेशानियां दिखने लगती है और उम्र बढ़ने के साथ साथ महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती /


बहुत से लोगों का मानना है कि एक उम्र के बाद महिलाओं में प्रजनन संबंधी परेशानियां दिखने लगती है और उम्र बढ़ने के साथ साथ महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है। लेकिन यह सच नहीं है इटली में रहने वाली 101 साल की एक महिला ने इसे गलत साबित किया है। यहां 101 वर्षीय इस महिला ने बच्चे को जन्म देकर दुनिया के साथ-साथ विज्ञान को भी चौंकाकर रख दिया है। 

महिला ने एक 9 पौंड के बच्चे को जन्म दिया है। इस खबर के बाद चिकित्सा जगत में इसकी आलोचना भी की गई। इसका कारण  था कि  महिला की परिपक्व उम्र के बावजूद अंडाशय प्रत्यारोपण। तुर्की में एक निजी क्लीनिक में डा.एलेक्जेंड्रो पोपोलिकि द्वारा इस महिला के अंडाशय प्रत्यारोपित किया गया। इस प्रत्यारोपण ऑपरेशन के बाद बहुत सारे विवादों ने भी जन्म लिया क्योंकि यह यूरोपीय कानूनों के तहत अवैध माना जाता है।

मां बनी अनातोलिया व्हर्टाडेला अपने 17 वें बच्चे फ्रांसिस्को के जन्म को भगवान का आशीर्वाद मानती हैं। उन्होंने बताया कि 16 बच्चों को जन्म देने के बाद वह 48 साल की उम्र में खुद को डिम्बग्रांथि कैंसर के कारण बेकार और दंडित महसूस करती थी, लेकिन एक बार फिर से मां बनने के बाद वह खुद पर गौरव महसूस कर रही हैं।

Monday, January 2, 2017

इस गांव में नही निकलता था सूरज तो बना डाला नया सूरज


ये दुनिया अजीबोगरीब स्थानों और मान्यताओं से भरी हुई है। एक ऐसा ही स्थान है इटली का विगल्लेना गांव। ये गांव इसलिए अजीब हैं क्योंकि यहां कभी सूरज ही नही निकलता इससे भी खास बात ये है कि यहां रहने वाले लोगों ने अपना ही सूरज बना लिया।
इस गांव में यही सबसे बड़ी परेशानी थी कि यहां के निवासी सूरज की रोशनी के लिये तरस जाते थे। दरअसल इस गांव के पास स्थित पहाड़ सूरज को इस प्रकार से कवर कर लेता था की गांव तक सूरज की धूप पंहुच ही नही पाती थी। यह गांव मिलान के उत्तरी भाग में 130 किमी नीचे बसा है और लंबे समय तक इस गांव के लोगों को सूरज के दर्शन तक नसीब नही होते। इस गांव में लोगों की संख्या करीब 200 है ये लोग अब मान चुके थे कि यहां कभी सूरज नहीं उगेगा। लेकिन इस गांव के ही इंजीनियर तथा आर्किटेक्ट ने यहां के लोगों के मन में एक आस जगा दी कि अब जल्द ही सूरज उग जाएगा। विगल्लेना गांव के मेयर पेरफ्रांको मिदाली की सहायता से 1,00,000 यूको खर्च करके 40 वर्ग
किलोमीटर शीशे को खरीदा गया और इसको पहाड़ के दूसरी ओर 1,100 किलोमीटर की ऊंचाई पर लगाया गया और यह शीशा पहाड़ के ऊपर इस तरह से लगाया गया है जिससे सूरज की रोशनी शीशे पर सीधी पड़ें और वह गांव पर धूप बनकर गिरे। इस प्रकार से इस गांव के लोगों ने अपने लिए खुद ही नया सूरज बना लिया है।