Tuesday, August 6, 2013

बर्गर-चाय की प्याली की तरह दिखती है कार

Sudhakar Yadav
बर्गर-चाय की प्याली की तरह दिखती है कार
इस विशुद्ध भारतीय कार की खूबी यह है कि यह कार जैसी तो बिल्कुल भी नहीं दिखती। यह बनाई कुछ इस तरह गई है कि शायद आप इसे खाने-पीने, इस पर सोने, पढ़ाई करने के लिए उपयोग करना या इससे क्रिकेट या फुटबॉल खेलना चाहें। इस कार के लिए कोई निश्चित आकार, रंग या बैठने की सीट नहीं है। आप जैसा चाहेंगे यह कार वैसी ही दिखती है। आपको बर्गर बहुत पसंद है, इस कार को बर्गर बनाकर रख सकते हैं। चाय के दीवाने हैं, यह कार चाय की प्याली बन जाएगी। क्रिकेट बहुत पसंद है, आप इसे बैट-बॉल बनाकर रख सकते हैं। आपको फुटबॉल बहुत पसंद है, इसे फुटबॉल के आकार में सड़कों पर चला सकते हैं। सिगरेट बहुत पीते हैं, इस सिगरेटनुमा कार को आप धड़ल्ले से सड़कों पर चला सकते हैं। आप थकते बहुत ज्यादा हैं पर सफर में अपना आरामदायक दीवान बेड तो लेकर चल नहीं सकते, इसलिए यह कार आपके दीवान बेड की तरह ही दिखती और उतनी ही आरामदायक है। इसे चाहें तो अपने सोने के कमरे में डबल बेड के रूप में सजाएं या आधी रात में इसे चलाकर सड़कों पर निकल जाएं। ये कहानियां नहीं कारें हैं असली कारें, जिन्हें आप कार की तरह सड़कों पर चला सकते हैं पर बैट-बॉल, कप-प्लेट, बर्गर, सिगरेट, फुटबॉल, दीवान बेड, सोफा, झूला, स्टडी टेबल, कैमरे की तरह दिखने वाली ये कारें कहीं से भी आपको कार की तरह नहीं दिखेंगी। आपने महंगी से महंगी गाडि़यां देखी होंगी पर ऐसे अजूबे कार शायद कभी न देखे हों।
भारत में मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले सुधाकर यादव को बचपन से ही कारों का बहुत शौक था। पर आज वह उल्लेखित इसलिए हैं क्योंकि उनकी पसंद सिर्फ कार नहीं थी, उन्हें रोजाना उपयोग की जाने वाली चीजों जैसी दिखने वाली कारें चाहिए थीं। अब आपके डबल दीवान बेड की तरह दिखने वाली कारें तो मिलती नहीं और उन्हें वैसी ही कार चाहिए थी। इसलिए उन्होंने अपनी पसंद की कार खुद बनाने की सोची। 14 साल की उम्र से ही उन्होंने कारें बनानी शुरू की थीं। बड़े होकर श्री सुधाकर का यही शौक एक प्रकार से उनका काम बन गया। आज उनकी बनाई 700 से अधिक कारें ऐसी ही अजीबोगरीब और लोगों के लिए कौतुहल का विषय हैं। कई लोगों ने सुधाकर से ऐसे कार उनके लिए बनाने का अनुरोध किया पर सुधाकर इन कारों को पेशेवर रूप से बेचना नहीं चाहते। इसलिए 700 की बड़ी संख्या में अपने सभी नायाब आकारों वाले इन कारों के लिए इन्होंने एक संग्रहालय बनाया है। सुधा कार संग्रहालय के नाम से इनका यह संग्रहालय अंतरराष्ट्रीय स्तर भी अपनी पहचान बना चुका है। इस संग्रहालय में आने के लिए एक हजार पाउंड (लगभग 90 हजार रुपए) की फीस है। इसलिए हर किसी के लिए इन कारों को देखना संभव तो नहीं है पर ऐसे कारों की कल्पना भी शायद हर किसी के लिए रोमांचक होगी।

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