Thursday, February 24, 2011

नेत्रहीन मूर्तिकार का अनोखा कारनामा


रोम। यदि इरादे हों पक्के तो दुनिया का कोई भी काम असंभव नहीं है। इस बात को साबित कर दिखाया है इटली के एक नेत्रहीन मूर्तिकार ने। जब फेलिस टैगलिफेरी को अपने ही देश में जीसस की एक विख्यात प्रतिमा को छूने नहीं दिया गया, तो उन्होंने खुद वैसी ही प्रतिमा बनाने की ठान ली और असंभव काम को संभव कर दिखाया। उन्होंने जीसस की सफेद चादर ओढ़े हुए एक ऐसी प्रतिमा की अनुकृति को आकार दिया जिसे उन्होंने देखना तो दूर छुआ तक नहीं। यकायक इस पर यकीन करना मुश्किल है।सन 1753 में इटली के नेपल्स में प्रख्यात मूर्तिकार ग्विसेप सेनमार्टिना ने जीसस की महीन चादर में लिपटी सफेद प्रतिमा बनाई थी। इसका नाम है क्रिस्टो वेलेटो है। इस मूर्ति की वजह से नेपल्स को बाद में एक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान मिली।एक दिन 41 वर्षीय फेलिस भी इस स्थान पर आए, तो उन्हें यह मूर्ति छूने की इजाजत नहीं दी गई। फेलिस ने इसे चुनौती के रूप में लिया। इस काम में तमाम विकलांग लोगों ने भी उनकी मदद की। जिन लोगों ने क्रिस्टो वेलेटो को देखा था, उन्होंने फेलिस के दिमाग में इस मूर्ति की छवि पैदा करने में उनकी मदद की। बस फिर क्या था उन्होंने देखते-देखते उस अनदेखी प्रतिमा को मूर्त रूप दे दिया और इसे क्रिस्टो रि वेलेटो नाम दिया। अब स्वयं पोप इसे देखने आएंगे। इसके अलावा इसे इटली के विभिन्न मुख्य शहरों में लोगों के दर्शन के लिए भी रखा जाएगा।

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